Monday, October 25, 2010

जाने क्या चाहे मन बावरा

कभी कभी न मूड एकदम अच्छा सा होता है। कुछ बुरा हो तो भी लगता है अच्छे के लिए हुआ होगा। जिससे हमारी कभी नहीं बनती उसकी भी हर बात सहन हो जाती है। चहरे पर हर समय एक धीमी मुस्कान सी छाई रहती है। एक अनजानी सी ख़ुशी में मन गुनगुना रहा होता है। लोग पागल भी समझने लगते है, सोचते है हम मुस्कुरा किस बात पर  रहे है। कुछ लोग हमे हँसता, मुस्कुराता देख कर जल भुन भी जाते है। और हम जाने अनजाने उनके अच्छे भले मूड को ख़राब कर देते है।

हमारे अच्छे मूड की कई वजह हो सकती है। जैसे धुप से भरे मौसम में अचानक बारिश हो जाना, या फिर सुबह सुबह कोई अच्छा सा कॉम्पलिमेंट मिल जाना। बॉस का हमारे काम की तारीफ़ कर देना, और ऑफिस से छुट्टी का पास हो जाना। वजह जो भी हो ज़रूरी है खुश रहना। कोई क्या सोचता है इसकी परवाह किये बिना, हर पुराने ज़ख्म को ठेंगा दिखाते हुए, आने वाले पल और खुशियों का बाहें फैलाकर स्वागत करते हुए, हमारा मन उड़ रहा होता है कभी सपनों के बदल में, कभी खुले आकाश में, कभी प्यार की उचाईयों में तो कभी सच के आँगन में।